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भटकती आत्मा भाग - 21




भटकती आत्मा भाग – 21

मनकू माँझी कई दिनों तक कार्यालय नहीं जा सका। एक दिन कलेक्टर साहब ने बंगले में उसकी अनुपस्थिति की चर्चा की | मैगनोलिया पास ही बैठी थी | इस बात को सुनकर उसका मन अप्रिय आशंका से भर उठा। कई दिनों से मनकू से वह नहीं मिल पाई थी। उस निर्दिष्ट चट्टान पर उसकी प्रतीक्षा कर करके थक गई थी। मनकू पर क्रोध भी आता था,परंतु वह कर भी क्या सकती थी | उसको क्या पता था कि मनकू के साथ इन दिनों भाग्य कैसा खेल खेल रहा है। उसके साथ समय की पाबंदी थी, इसलिए बस्ती में भी नहीं जा सकती थी। निराश होकर बंगला में लौट आना पड़ता था। इधर कलेक्टर साहब बहुत खुश थे,क्योंकि दिन-रात मैगनोलिया मिस्टर जॉनसन की सेवा में लगी रहती थी। मैगनोलिया का अपना विचार था कि उसकी गोली से घर आए मेहमान को कष्ट उठाना पड़ा,इसलिये इंसानियत के नाते उसकी सेवा करना आवश्यक है। गोली भी जॉनसन की बेवकूफी के कारण ही तो उसे चलाना पड़ा था। जॉनसन के प्रति घृणा की भावना और अधिक बढ़ गई थी उसके दिल में। फिर भी अनमने भाव से सेवा में जुटी रहती ।
   परंतु कलेक्टर साहब के सोचने के दृष्टिकोण में अंतर था। उनका अनुमान था,कि मैगनोलिया अब धीरे-धीरे मिस्टर जॉनसन के समीप आती जा रही है । वे  मिस्टर जॉनसन के व्यवहार से क्षुब्ध भी हो उठे थे। वे उसको भला आदमी समझते थे परंतु वह भी अन्य अंग्रेजों के समान ही निकला। फिर भी वह वचनबद्ध थे विवाह के लिये। मैगनोलिया के जन्म के बाद ही उन्होंने अपने मित्र से एक दिन मजाक में कह दिया था कि वे अपनी पुत्री की शादी उसके पुत्र के साथ ही करेंगे।
  परन्तु यह तो महज एक मजाक था, इसे गंभीरता से किसी ने नहीं लिया था। अगर वचनबद्धता भी होती तो, उसको आसानी से तोड़ा जा सकता था,क्योंकि भारतीयता का संस्कार तो था नहीं उनमें। अंग्रेजों के लिए किसी बात से मुकर जाना बहुत सरल था। लेकिन इधर मैगनोलिया के एक काले भारतीय से प्रेम करने की बात उनको अखर गई,इसलिए तत्काल  कोई न कोई कदम उठाना आवश्यक था | ऐसे समय उन्होंने इंग्लैंड में अपने दोस्त को पत्र लिखकर मिस्टर जॉनसन को बुलाया था। इसीलिए वे वचनबद्ध समझते थे अपने आप को। परंतु यह जॉनसन तो अनैतिकता के गर्त्त में गिरा हुआ निकला। फिर उनकी विचारधारा दूसरी ओर बढ़ चली। अंग्रेजों का यह तो फैशन होता है, शादी के पूर्व कई युवतियों से संपर्क तो मामूली बात है। शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा, इसलिए मन छोटा करना अच्छा नहीं है। इस प्रकार अपने मन को कलेक्टर साहब ने समझाया।
  मैगनोलिया उनकी विचारधारा से बेखबर मनकू माँझी के विषय में सोचे जा रही थी,उससे मिलना जरूरी हो गया था | किसी बहाने मिलने के लिए समय निकाल लेगी। मन आकुल हो रहा था, मनकू से मिलने के लिए जितना सोचती थी,मन उतना ही बेचैन हो रहा था | जब नहीं रहा गया तो अपने कमरे में चली गई, और मूक क्रंदन करने लगी | आंखें सावन भादो बन गई थीं।

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आकाश में सूर्य अपने पूर्ण  यौवन पर था। वातावरण शांत था। बंगले में कलेक्टर साहब नहीं थे, वे शायद किसी कार्य से बाहर गए हुए थे। घर में मिस्टर जॉनसन सोया पड़ा था। नौकर को आवश्यक निर्देश देकर मैगनोलिया अपने अश्व पर सवार होकर एक ओर चल पड़ी। नौकर से भी अपने गंतव्य स्थान का पता नहीं बताया उसने । घोड़े ने उसके चिर परिचित मार्ग को पकड़ा और हवा से बातें करने लगा था। जब उसका घोड़ा रनिया बस्ती के अंतरप्रांत में प्रवेश किया, तब कुछ ग्रामीण आदिवासी बच्चे नंग धड़ंग से खड़े उसको कौतूहल पूर्ण दृष्टि से देखने लगे थे । एक पेड़ के तने सेअश्व को बांध दिया मैगनोलिया ने। फिर उसके कदम मनकू की झोपड़ी की तरफ बढ़ चले। जानकी किसी कार्यवश झोपड़ी के बाहर निकली तथा उसकी दृष्टि इधर ही आती हुई मैगनोलिया से टकरा गई। मुस्कुरा कर उसने स्वागत किया। परंतु मैगनोलिया ने देखा यह मुस्कुराहट उदास थी l कमरे के अंदर पैर रखती हुई मैगनोलिया अज्ञात आशंका से काँप रही थी।
"हेलो डियर"   -  कहती हुई मैगनोलिया ने  मनकू का अभिवादन किया। मनकू माँझी एक कोने में सिर पर हाथ रखे बैठा था | उसने भी फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा -   
  "मैगनोलिया....डियर..... मैं तो लुट गया बाबा अब नहीं रहे"-  आंखों से झर झर आंसू बरसने लगे थे उसके। कुछ देर मैगनोलिया हत्प्रभ सी देखती रही फिर उसने भर्राये गले से सान्त्वना देते हुए मनकू से कहा - 
   "जो होना था वह तो हो गया, इसके लिए मातम मनाते रहने से कोई फायदा नहीं होगा"।
मनकू माँझी रोए जा रहा था | मैगनोलिया उसको प्यार से समझा रही थी | फिर उसका संकेत पाकर मनकू माँझी घर से बाहर निकला | दोनों घोड़े की तरफ बढ़ गये। शायद जंगल में चट्टान पर चले जा रहे थे,मन का दु:ख कुछ हल्का करने।

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  मिस्टर जॉनसन मैगनोलिया से क्षुब्ध था | घायल होने के बाद से उसकी तीव्र उत्कंठा मैगनोलिया को पाने की हो गई थी | उसके साथ शादी रचा कर सब का प्रतिशोध एक साथ ही लेना चाहता था वह। ऊपरी मन से उसने मैगनोलिया से अपने कुकर्म के लिए क्षमा मांग लिया था,और अच्छे दोस्त के रुप में रहने का वचन दे चुका था,परंतु उसके मन में कुछ और ही बात थी | मनकू माँझी उसका प्रतिद्वंदी था, वह उस को रास्ते से हटाना चाहता था, लेकिन अवसर नहीं मिल रहा था |
  मनकू माँझी ने फिर से कार्यालय जाना शुरू कर दिया था। उसका एकमात्र ध्येय अब जानकी की शादी कर देना रह गया था। वह उसको अपना पुनीत कर्तव्य समझता था। उसके लिए लड़का भी खोज रहा था,परंतु उसकी इच्छानुकूल  लड़का नहीं मिल रहा था।
  एक दिन कलेक्टर साहब ने दफ्तर में मनकू माँझी से कहा -  "तुम सब्जियां खरीद कर और मेरा सूट ड्राई क्लीनर्स से लेकर बंगले पर जीप से जाओ तथा मैगनोलिया से कह देना कि एक अत्यन्त आवश्यक कार्य आ जाने कारण साहब आज नहीं आ सकेंगे। फोन भी खराब है,इसलिए मैं तुमको भेज रहा हूं"।
  मनकू माँझी साहब का जीप लेकर स्वयं ड्राइव करता हुआ बंगले पर पहुंचा एक हाथ में सब्जियों का थैला तथा दूसरे हाथ में कपड़ा लेकर वह बरामदे पर पहुंचा | अचानक वह ठिठक गया। देखा कि दो-तीन गुंडे किस्म के पुरुष एक कमरे में बैठे शराब से जी बहला रहे थे। मैगनोलिया का कहीं पता नहीं था, मिस्टर जॉनसन भी नहीं दिख रहे थे |

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कलेक्टर साहब ने एक योजना मिस्टर जॉनसन के साथ बनाई थी। इस योजना के अन्तर्गत बँगला पर अकेले मनकू माँझी को भेजना था। फिर कुछ गुंडों की सहायता से उसका काम तमाम करने का उत्तरदायित्व मिस्टर जॉनसन पर था। मैगनोलिया को उन्होंने फोन द्वारा शॉपिंग करने की आज्ञा दे दी थी। उनका विचार था कि वह घर से निकल चुकी होगी,परंतु मैगनोलिया उनकी योजना अनुसार शॉपिंग के लिए नहीं गई | उसको कुछ संदेह हो गया था,क्योंकि रात में मिस्टर जॉनसन के साथ हुई सलाह मशविरा को वह चोरी-छिपे सुन चुकी थी।
  कलेक्टर साहब को क्या पता था कि मैगनोलिया सोई नहीं, मात्र सोने का बहाना करती रही थी | अब मैगनोलिया अकेले मनकू को कैसे बचा सकेगी यह सोचती हुई वह अपने कमरे में बिस्तर पर पड़ी रही | अंत में एक विचार आया और झटपट बाहर निकल गई वह। मिस्टर जॉनसन से मात्र इतना ही कहा -  "डियर फ्रेंड मैं शॉपिंग करने जा रही हूं,तुम बंगला का ध्यान रखना"|
घोड़े को मैगनोलिया ने नेतरहाट की सीमा पर ला खड़ा किया,तथा उसको एक झाड़ी में ले जाकर बांध दिया और स्वयँ एक चट्टान पर बैठी मनकू माँझी का इंतजार करने लगी। उसका विचार था कि वहीं पर मनकू माँझी को वस्तुस्थिति से अवगत करा कर वह बंगला में उसको जाने से मना कर देगी।
  इधर जॉनसन को गहरी राहत मिली। वह तो सोच रहा था कि मैगनोलिया शॉपिंग के लिए नहीं जा रही है,इसीलिए उसके सामने ही सब कुछ करना पड़ेगा। इसलिए वह घबड़ा रहा था | परंतु अचानक मैगनोलिया के चले जाने पर खुश था वह – बहुत! बहुत खुश! 
प्राकृतिक सुषमा का अवलोकन करते हुए एक जंगली फूल पर मैगनोलिया की दृष्टि अटक कर रह गई। उस फूल की सुन्दरता से विमुग्ध वह घाटी में जा पहुँची।
अचानक मैगनोलिया की दृष्टि ऊपर गई। उसे जीप आता हुआ नजर आया,परंतु वह तो घाटी में उतर चुकी थी,वहां से ऊपर तक आने में उसे देर हो गई। उसने जोर से पुकारा -   "माइकल"!
  परन्तु जीप की घर्घराहट में मनकू को कुछ भी सुनाई नहीं पड़ा।

         क्रमशः




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